बीकानेर, 9 अगस्त 2021 भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा से 150 मीटर पर देश का पहला ऐसा टावर (वीवर गैलरी) बनाया गया है, जहां से आमजन भी पाक रेंजर्स की एक्टिविटी देख सकेंगे। बीएसएफ बीकानेर सेक्टर की सांचू पोस्ट पर बना यह टावर देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर देशवासियों के लिए खोल दिया जाएगा।
देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए बीएसएफ अग्रिम पंक्ति पर तैनात रहती है। आए दिन सीमा पर पाकिस्तान से तस्करी और घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं। इसलिए हर इंसान के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि बॉर्डर के उस पार क्या है। पाकिस्तान कैसा नजर आता है। भास्कर आपको बता रहा है कि पोस्ट के बिल्कुल सामने पाकिस्तान की सीमा चौकी सतपाल का बेड़ा है।
लेफ्ट की तरफ रनिहाल पोस्ट है, जिसे 1971 की लड़ाई में भारतीय सैनिकों ने फतह किया था। पाक की कई चौंकियां, टावर और मीलों तक फैला जंगल नजर आएगा। अब यह नजारा आमजन भी देख सकेंगे। भारत-पाक विभाजन के बाद भी दोनों तरफ के लोगों का आना-जाना लगा रहता था।
हालांकि 1971 के युद्ध के बाद हालात बदल गए। लेकिन दोनों तरफ रिश्तेदारियां होने के कारण आवागमन नहीं रूका तो 1990 के बाद जीरो लाइन से 150 मीटर पर तारबंदी कर दी गई। पाकिस्तान हमारा दुश्मन देश है, लेकिन बालाकोट हमले के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच ईद पर मिठाई का आदान-प्रादान हुआ था।
अटारी, तनोट, हिंदुमलकोट के बाद सांचू भी बॉर्डर टूरिज्म के लिए तैयार
पंजाब में अटारी और जैसलमेर में तनोट, श्रीगंगानगर में हिंदुमलकोट के बाद अब बीकानेर का सांचू भी बॉर्डर टूरिज्म के लिए तैयार है। अटारी के बाद सांचू खास होगा, जहां जीरो लाइन के पास से लोग सीमा पार देखने का लुत्फ उठा सकेंगे। सांचू पोस्ट को सीमा दर्शन प्रोग्राम के तहत बॉर्डर टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है।
वार ट्रॉफी के रूप में पोस्ट पर दो टैंक भी तैनात किए जाएंगे, जिनका मुंह पाकिस्तान की ओर होगा। गृह मंत्रालय से इसकी मंजूरी मिल गई है। संभवतया अक्टूबर तक दोनों टैंक सांचू पर तैनात कर दिए जाएंगे। वार म्यूजियम और सांचू माता का मंदिर पहले ही बन चुका है।
बार्डर के उस पार पाकिस्तानी चौकियां जिन पर 1971 के युद्ध में भारत ने किया था कब्जा
सांचू पोस्ट का ऐतिहासिक महत्व है। बीकानेर सेक्टर में एक मात्र यही पोस्ट है, जहां 1965 और 1971 की लड़ाई लड़ी गई थी। सबसे खास बात यह है कि देश में संभवतया यहीं पर ऐसी वीवर गैलरी बनाई गई है, जहां से आमजन बॉर्डर का नजारा देख सकेंगे। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर गैलरी की ओपनिंग करने की तैयारी की जा रही है।
-पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़, डीआईजी, बीएसएफ
क्या है सीमा पार
1. 1 लाख 27 हजार एकड़ में फैला है लाल सुहरना नेशनल पार्क %3A बहावलपुर के जंगल और रेगिस्तानी इलाके में यह पार्क 127480 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसमें से 20,974 एकड़ सिंचित और 101726 एकड़ असिंचित हैं। घग्गर-हकरा नदी का बहाव क्षेत्र होने के कारण 4780 एकड़ में तालाब और झील हैं। पार्क का इलाका 1 से 6 मीटर की रेत के टीलों से घिरा हुआ है।
2. इन जीव-जंतुओं की प्रजातियां पाई जाती हैं नेशनल पार्क में %3A एशियाई वाइल्डकैट्स, खरगोश, हिरण, वाइपर, भारतीय कोबरा, भेड़िया, नील गाय, स्पाइनी टेल्ड छिपकली। पक्षियों की 160 से अधिक प्रजातियों में हूबारा बस्टर्ड, ग्रिफॉन वल्चर, क्रेस्टेड हनी बजर्ड, मार्श हार्बर, मुर्गी, लग्गर बाज, पेरेग्रीन बाज, केस्टेल, यूरेशियाई गौरैया, मिस्र के गिद्ध, लार्क, चीरना, उल्लू।
3. अरब के शेखों की शिकारगाह %3A बहावलपुर के जंगलों में अरब के शेख अपने प्राइवेट प्लेन से शिकार करने के लिए बॉर्डर तक आते हैं। ये खासकर तिलोर का शिकार करते हैं, जो दुर्लभ पक्षियों की श्रेणी में शुमार है। जंगल में प्लेन उतारने के लिए उन्होंने एयर स्ट्रिप भी बना रखी है।
Posted On:Monday, August 9, 2021